
Last Updated:April 29, 2025, 12:32 ISTMarigold Flower Cultivation Tips: कलकतिया गेंदा की किस्म ने किसानों के लिए आय का एक नया और स्थायी स्रोत खोल दिया है. छत्तीसगढ़ में इस फूल की खेती कम लागत में अधिक लाभ देने वाली साबित हो रही है. कलकतिया किस्म का …और पढ़ेंX
कलकतिया गेंदाहाइलाइट्सकलकतिया गेंदा की खेती से प्रति एकड़ 12 टन उपज मिलती है.इस किस्म की खेती से किसान एक लाख तक बचत कर सकते हैं.छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती से किसानों की आय बढ़ रही है.रायपुर. छत्तीसगढ़ में धान, गेहूं, सब्जी जैसे पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अब किसानों का रुझान फूलों की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. विशेषकर ‘कलकतिया गेंदा’ की किस्म ने किसानों के लिए आय का एक नया और स्थायी स्रोत खोल दिया है. छत्तीसगढ़ में इस फूल की खेती कम लागत में अधिक लाभ देने वाली साबित हो रही है. ‘कलकतिया’ किस्म का गेंदा अपने रंग, आकार और लंबे समय तक ताजगी बनाए रखने के कारण बाजार में अत्यधिक मांग में है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञों के अनुसार इस किस्म की खेती के लिए किसानों को प्रति एकड़ 400 से 600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है. बीजोपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से किया जाता है. पंक्तियों के बीच 30 सेमी. की दूरी रखकर इसकी बुवाई की जाती है.
फर्टिगेशन तकनीक से मिल रही अच्छी पैदावार
पौधों के अच्छे विकास के लिए गोबर की खाद के साथ 40 किलो नाइट्रोजन, 36 किलो फॉस्फोरस और 30 किलो पोटाश प्रति एकड़ की दर से देना होता है. सिंचाई की आधुनिक पद्धति जैसे फर्टिगेशन से इस फूल की खेती और भी लाभकारी बन गई है. फसल अवधि में तीन चरणों में उर्वरकों का प्रयोग करने से पौधों की वृद्धि और फूलों की गुणवत्ता बेहतर होती है. इसके अलावा, खरपतवार नियंत्रण के लिए दो बार हैंड वीडिंग पर्याप्त होता है. गेंदे की फसल पर एफिड, थ्रिप्स जैसे कीटों का असर होता है, जिसके लिए इमिडाक्लोप्रिड या थायोमेथोक्साम जैसे कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है. इसके अलावा, फूलों की गुणवत्ता बनाए रखने और रोगों से बचाव के लिए कवकनाशी जैसे डायकॉपफॉल का भी उपयोग किया जाता है.
प्रति एकड़ 12 टन तक मिलेगी उपज
कलकतिया गेंदा न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि पूजा-पाठ, विवाह और सजावट के लिए भी उच्च मांग में है. इससे किसानों को 9 से 12 टन प्रति एकड़ तक उत्पादन मिल सकता है, जिससे उनकी सीधी आमदनी 60,000 से लेकर 1 लाख रुपए प्रति एकड़ तक हो सकती है. मांग अधिक होने की स्थिति में यह आय और बढ़ सकती है. कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर और छत्तीसगढ़ सरकार भी अब फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण, बीज उपलब्धता और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं. कलकतिया गेंदा जैसी प्रजातियों को बढ़ावा देना छोटे और सीमांत किसानों के लिए आय का एक सशक्त साधन बन सकता है.
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां किसान मुख्यतः धान पर निर्भर हैं, वहीं फूलों की खेती विशेषकर ‘कलकतिया गेंदा’ के माध्यम से वे आय के नए आयाम गढ़ रहे हैं. कम समय में तैयार होने वाली यह फसल न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही है.
Location :Raipur,ChhattisgarhFirst Published :April 29, 2025, 12:31 ISThomeagricultureकमाल है गेंदा की ये वैरायटी! एकड़ में मिलेगी 12 टन उपज, कमाई भी होगी तगड़ी
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