
Last Updated:May 24, 2025, 20:15 ISTHistory of Korba: कोरबा स्थापना दिवस पर जानिए उस योद्धा की कहानी जिसने आदिवासी राजा गौरिया को मारकर जमींदारी की नींव रखी और कैसे एक रानी के हाथों समाप्त हुई वह परंपरा.
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कोरबा का इतिहास हाइलाइट्सकोरबा का इतिहास केवल कोयले और कारखानों तक सीमित नहीं है.जोगी राय ने विषैली शराब से आदिवासी राजा गौरिया को मार डाला.रानी धनराज कुंवर तक चली कोरबा की जमींदारी परंपरा.अनूप पासवान, कोरबा: छत्तीसगढ़ के औद्योगिक दिल कोरबा का इतिहास केवल कोयले और कारखानों तक सीमित नहीं है. इसकी जड़ें एक ऐसे योद्धा की कहानी से जुड़ी हैं, जिसने साजिश और बहादुरी के जरिए एक समांतर राज्य का अंत किया और फिर जमींदारी की नींव रखी. 25 मई 1998 को जिला बने कोरबा की असल कहानी शुरू होती है सन् 1520 के आसपास, जब एक गुमनाम योद्धा जोगी राय ने इतिहास की धारा ही बदल दी.
जोगी राय: मंदिरों में जाने वाला एक साधारण यात्री या छुपा हुआ शासक?भिंड-मुरैना के पास की सुख नदी से कोरबा पहुंचा यह योद्धा रोज़ महामाया देवी के दर्शन के लिए रतनपुर जाया करता था. उसकी राजसी चाल-ढाल ने रतनपुर के दरबार का ध्यान खींचा. राजा को खबर लगी कि कोई अनजान घुड़सवार अक्सर मंदिर आता है. जब उसे बुलवाया गया, तब उसके असाधारण व्यक्तित्व ने राजा को प्रभावित कर दिया.
गौरिया: आदिवासी शक्ति का प्रतीक, जिसकी मौत बनी जमींदारी की शुरुआतराजा ने जोगी राय की परीक्षा लेने के लिए उसे एक मिशन सौंपा कोरबा के जंगलों में आदिवासियों के समांतर राजा बने ओहारा गौरिया को खत्म करना. गौरिया छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की ताकत था. पहाड़ियों में बसे गोंड़, धनुहार, बिरहोर समुदाय उसके पीछे खड़े थे. वो गुरिल्ला युद्ध का उस्ताद था, जिसकी टुकड़ियाँ रतनपुर और सरगुजा के लिए चुनौती बन चुकी थीं.
ज़हर में डूबा गम्मत और छुपी हुई मौतजोगी राय ने आदिवासियों को अपने पक्ष में किया और गौरिया को एक गम्मत (लोकनाट्य) देखने ग्राम केरवाद्वारी बुलाया. वहाँ परोसी गई विषैली शराब ने गौरिया की जान ले ली. इसके बाद उसके सैनिकों को भी चुन-चुनकर मार डाला गया. इस कार्य से खुश होकर रतनपुर और सरगुजा के राजाओं ने जोगी राय को 236 गाँवों की जमींदारी सौंप दी और यहीं से कोरबा जमींदारी की औपचारिक शुरुआत हुई.
रानी धनराज कुंवर तक पहुंचा साम्राज्य, खत्म हुई एक युग की कहानीसालों तक केदार राय, भरत सिंह, खेम सिंह और अंत में रानी धनराज कुंवर तक यह जमींदारी चलती रही. कोरबा के जंगल, महल और मंदिर आज भी उस समय की विरासत की गवाही देते हैं.
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Location :Korba,Chhattisgarhhomehistoryगम्मत में मिला ज़हर, रानी की गद्दी तक पहुंचा खून का खेल…कोरबा की सच्ची कहानी
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