
Last Updated:April 30, 2025, 20:53 ISTpalak ki kheti kaise karen: लोग तमाम तरह के फल और सब्जियों की खेती करते हैं. किसी भी फसल की खेती से पहले सबसे जरूरी उसकी बेहतरीन किस्म का होना है. आप चाहे जिस फल, सब्जी या अनाज की खेती करें उसके बीज की वैरायटी …और पढ़ेंX
पालक की उन्नत किस्म – आलग्रीनरायपुर: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में कृषि की अपार संभावनाएं हैं. धान और गेंहू जैसे पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा सब्जियों की खेती कर यहां के किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं. हरी सब्जियों में पालक की काफी डिमांड रहती है. ऐसे में आप इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसके लिए आपको पालक की खेती से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी होनी ही चाहिए. आपको यह भी पता होना चाहिए कि पालक के किस वैरायटी की खेती करें. इसकी खेती में किन चीजों की सावधानी रखें. तो हम आपको पालक की खेती से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं.
पालक की एक उन्नत किस्म ‘आलग्रीन’ है. इसकी खेती अब आसान और लाभकारी हो गई है. नई तकनीकी विधियों और वैज्ञानिक अनुशंसाओं के साथ की गई खेती से किसानों को न केवल अधिक उत्पादन मिलेगा, बल्कि बेहतर गुणवत्ता वाली फसल भी प्राप्त होगी.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञों के अनुसार इस किस्म की बुवाई के लिए बीज दर 25-30 किग्रा प्रति हेक्टेयर रखी गई है. बीजोपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज का प्रयोग जरूरी है. इससे बीज जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है. पंक्ति विन्यास 30×10 सें.मी. त्रिभुजाकार विधि से करने की सलाह दी गई है. इससे पौधों को उचित जगह और पोषण मिल सकेगा.
उर्वरक और सिंचाई का विशेष ध्यानउर्वरक के रूप में प्रति हेक्टेयर 20-22 टन गोबर खाद, नत्रजन 100 किग्रा, फास्फोरस 50 किग्रा और पोटाश 60 किग्रा देने की सिफारिश की गई है. सिंचाई के लिए ड्रिप विधि को अपनाते हुए हर दो दिन के अंतराल में एनपीके 19:19:19, 12:61:00, 13:00:45 का फर्टिगेशन करने की सलाह दी गई है.
खरपतवार और कीट रोग नियंत्रणखरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 3 दिन के अंदर आमेजीडायजन 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव जरूरी है. लीफ माइनर और सफेद मक्खी जैसे कीटों के लिए इमामेक्टिन 0.5 ग्राम और इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग करना चाहिए. रोगों में प्रमुखता से दिखने वाले पत्ती झुलसा रोग के लिए बुकोनाजोल या म्यूरोमिक गोल्ड का छिड़काव करने से असरदार परिणाम मिलते हैं.
25 से 35 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन की संभावनाइस किस्म की उपज 25 से 35 टन प्रति हेक्टेयर तक आंकी गई है. हरी पत्तियों और डंठल की लंबाई 12-15 सेंटीमीटर होती है जो बाजार में अधिक पसंद की जाती है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञों का मानना है कि ‘आलग्रीन’ किस्म की वैज्ञानिक तरीके से की गई खेती न केवल किसानों को अच्छी आमदनी दिला सकती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है. इस तकनीकी जानकारी को अपनाकर किसान कम लागत में अधिक और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
Location :Raipur,ChhattisgarhFirst Published :April 30, 2025, 20:53 ISThomechhattisgarhपालक की खेती से करें अच्छी कमाई, रायपुर के एक्सपर्ट ने दी पूरी जानकारी
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