
14 अप्रैल 2025 को मैं बगीचा गया। राजपुरी झरना देखा। बहुत अच्छा था, बहुत सुंदर। “बगीचा राजपुरी झरना में सावधानी बरतनी चाहिए” – ये बात अब दिल से निकलती है। एक आदमी फिसल गया, सब चिल्लाने लगे। कोई रो रहा था, कोई फोन कर रहा था। बहुत डर लगा उस दिन।

राजपुरी झरना बगीचा का एक बहुत फेमस टूरिस्ट प्लेस है। लोग दूर-दूर से आते हैं, फोटो लेते हैं, झील में पैर डालते हैं। पर सब मज़ा ही नहीं है। वहाँ की चट्टानें बहुत फिसलन भरी होती हैं। ऊपर से पानी गिरता है, तो पत्थर चिकने हो जाते हैं। उस दिन एक युवक सेल्फी लेने गया और पाँव फिसल गया। गनीमत रही कि कुछ लोग नजदीक थे और समय रहते उसे खींच लिया गया।
एक महिला चिल्ला रही थी, “क्यों नहीं बोर्ड लगाते यहाँ?” और सच में, कोई चेतावनी बोर्ड नहीं दिखा मुझे। कुछ बच्चे वहीं खेल रहे थे, पैर पानी में, हाथ ऊपर। अगर वे फिसलते तो क्या होता? “बगीचा राजपुरी झरना में सावधानी बरतनी चाहिए” – ये सिर्फ वाक्य नहीं, ज़रूरत है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल यहाँ कोई ना कोई फिसलता है। कई बार लोग गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई स्थायी सुरक्षा व्यवस्था अब तक नहीं की गई है। किसी तरह की बैरिकेडिंग नहीं है, ना ही लाइफ गार्ड। लोग आते हैं, मस्ती करते हैं और भाग्य पर छोड़ देते हैं।
एक युवक ने कहा, “हमने देखा, लड़का गिरा, पत्थर से सिर टकराया। खून निकला पर होश में था।” उसे तुरंत बगीचा के अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया, गहरा जख्म था लेकिन खतरे से बाहर है। पर सोचिए, अगर वो अकेला होता तो क्या होता?
मैंने झरने के पास जाकर देखा, ज़मीन बहुत फिसलन भरी है। खासकर बारिश के बाद या नमी वाले दिन तो पैर टिकता ही नहीं। वहाँ के कुछ लोग अब खुद बैनर लगवाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर शासन नहीं करेगा तो हम करेंगे, लेकिन अब और हादसे नहीं चाहिए।”
राजपुरी झरना बगीचा ब्लॉक का प्राकृतिक खजाना है। पर बिना सुरक्षा के यह खज़ाना एक खतरा भी है। जो लोग यहाँ आते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि ये जगह सुंदर ज़रूर है, मगर खतरनाक भी है।
टूरिज़्म डिपार्टमेंट से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमने प्रपोज़ल भेजा है सुरक्षा के लिए, जल्दी ही कुछ व्यवस्था की जाएगी।” लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान ज़मीन पर नहीं दिखा। कुछ लोग सुझाव दे रहे हैं कि हर वीकेंड पर एक सुरक्षाकर्मी नियुक्त किया जाए जो लोगों को गाइड करे।
“बगीचा राजपुरी झरना में सावधानी बरतनी चाहिए” – यह लाइन अब एक चेतावनी बन चुकी है। और यह सिर्फ पर्यटकों के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय प्रशासन के लिए भी एक अलार्म है। अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में और बड़ी घटनाएँ हो सकती हैं।
मैंने एक बुज़ुर्ग से पूछा, “आप यहाँ हर दिन आते हैं?” उन्होंने मुस्कराकर कहा, “हाँ, मगर चट्टानों से दूर बैठता हूँ।” वो जानते हैं कि प्रकृति को देखने का तरीका होता है, उसे चुनौती देने का नहीं।
पर्यटन स्थलों की सुरक्षा अब एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। जो जगहें सोशल मीडिया पर ‘वाइरल’ हो रही हैं, वहाँ खतरा भी बढ़ रहा है। लोग वीडियो बनाने के चक्कर में खुद को भूल जाते हैं।
झरने की ओर जाने वाला रास्ता भी कुछ जगहों पर संकरा और असमतल है। वहाँ रोशनी नहीं है, और शाम होते ही दृश्यता कम हो जाती है। कई बार पर्यटक अंधेरे में रास्ता भटक जाते हैं। GPS भी काम नहीं करता।
राजपुरी झरना को सुरक्षित बनाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?
- चेतावनी बोर्ड लगाना
- बैरिकेडिंग करना
- लाइफ जैकेट और रस्सियाँ रखना
- ट्रेंड गार्ड्स की तैनाती
- स्थानीय गाइड की मदद लेना
अगर आप वहाँ जाएँ तो बच्चों का हाथ थामे रहें, सेल्फी से ज्यादा ध्यान अपने कदमों पर दें। ये जगह ज़रूर खूबसूरत है, पर जीवन सबसे कीमती है। याद रखिए, प्रकृति को देखने का मतलब यह नहीं कि हम उसकी शक्ति को नजरअंदाज करें।
अगली बार जब आप सोचें कि “चलो राजपुरी झरना चलते हैं”, तो बस इतना याद रखें – “बगीचा राजपुरी झरना में सावधानी बरतनी चाहिए”। क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही, एक बड़ी मुसीबत में बदल सकती है। और ये छुट्टियाँ, यादों के बजाय अफसोस में बदल सकती हैं।