
Bhindi Ki Kheti: भिंडी की खेती ग्रीष्मकालीन फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. फरवरी मध्य से अप्रैल तक भिंडी की बुवाई की जाती है. जून तक फसल तैयार हो जाती है. तमाम किसान अप्रैल के बाद भी भिंडी की बुवाई करते हैं. लेकिन, भिंडी की बुवाई और सिंचाई में अगर कुछ बातों का ध्यान रख लिया तो छप्पर फाड़ खेती से कोई नहीं रोक सकता. छत्तीसगढ़ की जलवायु और तापमान भिंडी की खेती के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती है. इसी कारण राज्य के कई जिलों में किसान बड़े पैमाने पर भिंडी की खेती कर रहे हैं और नई विधि अपना कर कमाई भी बढ़ा रहे हैं.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के अनुसंधान सह संचालक डॉ. धनंजय शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती में अब किसान संकर यानी हाइब्रिड किस्मों की ओर अधिक झुकाव दिखा रहे हैं. इन किस्मों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और ये गर्मी को सहन करने में भी सक्षम होती हैं. उन्होंने बताया कि हाइब्रिड किस्मों की बुवाई के लिए पौधों के बीच 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी रखना चाहिए, जबकि सामान्य किस्मों के लिए 45 x 40 सेंटीमीटर की दूरी पर्याप्त होती है. इससे पौधों को बेहतर विकास का स्थान मिलता है.
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ऐसे करें सिंचाई, फसल बढ़ेगी, पानी बचेगाटपक सिंचाई प्रणाली को लेकर डॉ. धनंजय शर्मा ने विशेष जोर दिया. बताया, यदि किसान टपक सिंचाई की व्यवस्था करते हैं, तो न केवल जल की बचत होती है, बल्कि उपज में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है. विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोधों के अनुसार टपक सिंचाई अपनाने से भिंडी की उपज में औसतन 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. साथ ही उर्वरकों की खपत में लगभग 30 प्रतिशत और पानी की खपत में 35 से 40 प्रतिशत की बचत होती है.
जानें टपक सिंचाई के फायदेभिंडी एक ऐसी फसल है जिसे बाजार में अच्छा दाम मिलता है. लेकिन, इसकी अच्छी उपज के लिए खेत में नमी बनाए रखना जरूरी होता है. खासकर गर्मी के दिनों में जब तापमान में तेज़ी से बढ़ोतरी होती है. नमी की कमी होने पर फूल और फल का विकास प्रभावित होता है. फूल झड़ने की समस्या सामने आती है. टपक सिंचाई इस चुनौती का कारगर समाधान है, क्योंकि यह पौधे की जड़ों तक सीधी और नियंत्रित मात्रा में पानी पहुंचाता है.
ऐसे अपनी आय बढ़ाएं किसानडॉ. शर्मा के अनुसार, टपक सिंचाई के माध्यम से पौधों को नमी नियमित रूप से मिलती रहती है, जिससे फूलों और फलों की वृद्धि बेहतर होती है. संपूर्ण फसल की गुणवत्ता में भी सुधार आता है. छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए भिंडी की खेती एक लाभकारी विकल्प है. यदि वे आधुनिक सिंचाई तकनीकों जैसे टपक सिंचाई को अपनाएं, तो यह लाभ और भी बढ़ सकता है. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर अमल करते हुए राज्य के किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं. बाजार में अच्छी कीमत प्राप्त कर अपनी आय में काफी बढ़ोतरी कर सकते हैं.