
Corner Plot: जब भी कोई नया घर या ज़मीन खरीदने की बात होती है, तो “कॉर्नर प्लॉट” एक ऐसा शब्द है जो अक्सर सुनने को मिलता है. बहुत से लोग इसे बेहद लाभकारी मानते हैं, तो कुछ लोग इससे बचने की सलाह देते हैं. लेकिन असल में कॉर्नर प्लॉट होता क्या है और इसे खरीदना समझदारी है या नहीं आइए सरल भाषा में इसे समझते हैं इंदौर निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह से.
कॉर्नर प्लॉट उस ज़मीन को कहते हैं, जो दो सड़कों के मोड़ पर होता है. मतलब, प्लॉट के दो तरफ सड़कें होती हैं, और इसकी बनावट एक कोने जैसी होती है. मान लीजिए आपके घर के सामने और एक साइड में सड़क है, तो यह प्लॉट कॉर्नर प्लॉट कहलाता है. अब यह नॉर्थ-ईस्ट कॉर्नर हो सकता है, साउथ-वेस्ट कॉर्नर या फिर कोई और दिशा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सड़कें किस दिशा में हैं.
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कॉर्नर प्लॉट को लेकर लोगों में अलग-अलग सोच होती है. कई लोग इसे बहुत अच्छा मानते हैं क्योंकि दो तरफ सड़क होने से हवा और रोशनी भरपूर मिलती है, और घर का लुक भी खुला-खुला लगता है. वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग इसे अच्छा नहीं मानते, खासकर जब प्लॉट दक्षिण और पश्चिम दिशा में हो. माना जाता है कि इन दिशाओं पर कॉर्नर होने से ऊर्जा प्रवाह बाधित हो सकता है.
यहां एक और ज़रूरी बात आती है डेड एंड प्लॉट. कई बार लोग कॉर्नर प्लॉट और डेड एंड प्लॉट को एक जैसा समझ लेते हैं, जबकि यह दोनों अलग चीजें हैं. डेड एंड प्लॉट वह होता है, जहां सड़क खत्म हो जाती है, यानी आगे कोई रास्ता नहीं जाता. जैसे, गली का आखिरी मकान जहां सामने दीवार है या खुली जगह है. यह प्लॉट कॉर्नर नहीं, डेड एंड कहलाता है. कुछ लोगों को यह गलतफहमी होती है कि डेड एंड प्लॉट अशुभ होता है, लेकिन ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है, असल में, कई सफल और खुशहाल घर ऐसे प्लॉट्स पर बने हैं.
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वास्तु की बात करें तो नॉर्थ-ईस्ट कॉर्नर प्लॉट को सबसे अच्छा माना जाता है. कहा जाता है कि यहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है, लेकिन हर जगह की भूमि, आस-पास की इमारतें और पर्यावरण अलग-अलग होते हैं, इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले ज़मीन की पूरी जांच कर लेना ज़रूरी है. अगर आप सही जानकारी, सही दिशा और खुले दिमाग से निर्णय लेंगे तो ज़मीन की हर किस्म में संभावनाएं हैं. बस जरूरी है समझदारी और संतुलित सोच की.