
Last Updated:April 29, 2025, 13:54 ISTAkshaya tritiya 2025 : 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा और इस तिथि को गर्मियों का धनतेरस भी कहा जाता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में विराजमान रहते हैं और यह तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त भ…और पढ़ें10 बातों से जानिए अक्षय तृतीया का महत्वहाइलाइट्सअक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी.इस दिन सूर्य और चंद्रमा उच्च राशि में रहते हैं.अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है.वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा और इस बार यह शुभ तिथि 30 अप्रैल दिन बुधवार को है. पुराणों व शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त कहा जाता है अर्थात इस दिन बिना पंचांग देखे या ज्योतिष से सलाह लिए बिना आप कोई भी शुभ कार्य या 16 संस्कार के कार्य किए जा सकते हैं. इस शुभ तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में विराजमान रहते हैं अर्थात सूर्य मेष राशि और चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे. इस तिथि का संबंध त्रेता और सतयुग से भी माना जाता है. आइए इन 10 प्वाइंट से समझते हैं अक्षय तृतीया का क्या है महत्व…
1अक्षय तृतीया के दिन से चारधाम यात्रा की शुरुआत हो जाती है. इस दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुल जाएंगे. साथ ही इस दिन वृंदावन के बांकेबिहारीजी के चरणों के दर्शन भी किए जाते हैं, जिनके दर्शन साल में केवल एक बार होते हैं.2अक्षय तृतीया के दिन दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जाने-अनजाने किए गए पाप भी नष्ट हो जाते हैं. साथ ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है अर्थात इस दिन आप जितना दान करेंगे, उससे कई गुणा आपके पुण्य में बढ़ोतरी होती है.3इस तिथि की गणना युगादि कालों से होती आ रही है. अक्षय तृतीया के दिन से ही त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है. साथ ही इस दिन द्वापर युग का अंत भी हुआ था. इस दिन ही परशुराम और ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का प्राक्ट्य हुआ था.4अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के चरणों से ही पृथ्वी लोक पर गंगा अवतरित हुई थीं. इस दिन गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद या दान करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से ऐश्वर्य, सुख, संपत्ति और संपत्ति में वृद्धि होती है और विशेष लोक की प्राप्ति होती है.5न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।अर्थात वैशाख के समान कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं. ठीक उसी तरह अक्षय तृतीया जैसी कोई दूसरी तिथि नहीं है.6अक्षय तृतीया की तिथि का उल्लेख कई पुराणों व शास्त्रों में किया गया है. इस तिथि का जिक्र विष्णु धर्म सूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण आदि पुराण व शास्त्रों में मिलता है.7अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त कहा जाता है और इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में विराजमान रहते हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, जप व ध्यान, दान आदि पुण्य कार्य करने के शुभ कर्म का फल कभी क्षय नहीं होता है.8अक्षय तृतीया का दिन खरीदारी का नहीं है, इस पर्व का व्यापारिक रूप दे दिया गया है और मूल उद्देश्य से दूर चले गए हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान, जप, दान आदि पुण्य कार्य करने का है. अगर आप खरीदारी करते हैं तो आपके संचित धन ही खर्च होता है.9वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आखातीज या अक्षय तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.10अक्षय तृतीया को लेकर मान्यता है कि इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल कई जन्मों तक मिलता है. ठीक उसी तरह इस दिन किए गए किसी भी गलत कार्य फल कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ता.
First Published :April 29, 2025, 13:43 ISThomedharm10 बातों से जानें अक्षय तृतीया का महत्व, त्रेता व सतयुग से है इस तिथि का संबंध
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