
नई दिल्ली. ‘यह कुलमिलाकर अजीब सेलेक्शन है. वैसे भी इंग्लैंड दौरे पर भारत के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है…’ इंग्लैंड दौरे के लिए चुनी गई भारतीय टीम के लिए यह एक ऐसा कॉमेंट है, जो अपने आप में हजारों शब्द और डर समेटे हुए है. जिस टीम इंडिया ने अपने पिछले इंग्लैंड दौरे पर अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे. विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम सीरीज में 2-1 से आगे थी. हालांकि कोरोना विस्फोट के चलते सीरीज आखिर में 2-2 की बराबरी पर खत्म हुई. वही टीम इंडिया जब 3 साल बाद इंग्लैंड जा रही है तो संजय मांजरेकर कह रहे हैं कि अभी तो इन्वेस्टमेंट किया जा रहा है, रिजल्ट की उम्मीद जल्दी ना करें.
भारतीय टीम एक दशक में पहली बार बिना विराट कोहली या रोहित शर्मा के इंग्लैंड का दौरा करेगी. इन दोनों ने टीम चयन से पहले ही टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा है. भारतीय क्रिकेट की पर्देदारी के चलते यह जान पाना बहुत मुश्किल है कि विराट और रोहित ने अपनी मर्जी से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा है या चयनकर्ताओं और कोच के दबाव में. लेकिन यह तय है कि अगर मांजरेकर जैसे दिग्गज कह रहे हैं कि भारत के पास खोने को कुछ नहीं है तो वह मान कर चल रहे हैं कि हार पक्की है. 25 साल में यह पहला मौका है जब टीम इंडिया के जाने से पहले ही फैंस और दिग्गजों की हिम्मत टूटी हुई है. यह भी तय है कि अगर विराट कोहली भारतीय टेस्ट टीम में होते तो कोई दिग्गज कभी भी यह नहीं कहता कि खोने के लिए है ही क्या…
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एक दशक से भारतीय टीम का दबदबा लेकिन… पिछले एक दशक में भारतीय टीम जब भी विदेश दौरे पर गई तो उसे जीत का दावेदार माना गया. भारत ने इस दौरान ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में दो बार हराया. इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका को उनके घर में बराबरी पर रोका. विराट कोहली की लीडरशिप में टीम की बैटिंग तो ताकत थी ही, पेस अटैक भी विरोधियों में दहशत पैदा करता था. तब यह सोचना जरूरी है कि आखिर छह महीने में ऐसा क्या हो गया कि जो भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जीत के दावेदार के तौर पर जाती है, उससे इंग्लैंड दौरे पर कोई उम्मीद ही नहीं रखी जा रही है. क्या भारतीय टीम कोहली और रोहित पर इतना निर्भर थी. अगर हां तो फिर उन्हें संन्यास क्यों लेने दिया गया. कोई शक नहीं कि संन्यास खिलाड़ी का अपना फैसला होता है लेकिन दुनिया गवाह है कि अगर टीम को जरूरत रही है तो खिलाड़ियों ने इसे टाला भी है. भारत के जवागल श्रीनाथ से लेकर इंग्लैंड के बेन स्टोक्स और मोईन अली इसके सबूत हैं.
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80 के दशक में पाकिस्तान जाकर दोहरा शतक लगाने वाले संजय मांजरेकर का पूरा पोस्ट पढ़कर लगता है कि भारत हार के लिए तैयार है, बस रिजल्ट का इंतजार है. मांजरेकर एक्स पर पोस्ट करते हैं, ‘यह अजीब सेलेक्शन है. लेकिन इंग्लैंड दौरे पर भारत के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. यह टीम बदलाव के दौर में है. इसलिए हम इसे सिर्फ शुभकामनाएं दे सकते हैं. और हां, थोड़ा धीरज रखना होगा. अभी इन्वेस्ट किया जा रहा है, जिसका रिजल्ट बाद में मिलेगा.’
डब्ल्यूटीसी 2025-27 साइकल की पहली सीरीज भारत और इंग्लैंड के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज 20 जून से होनी है. यह वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025-27 साइकल की पहली सीरीज है. भारत मौजूदा डब्ल्यूटीसी साइकल में फाइनल में जगह नहीं बना पाया है. ऐसे में शुभमन ब्रिगेड अगर इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती तो यह अगले डब्ल्यूटीसी फाइनल की संभावना को भी प्रभावित करेगा. इसीलिए जब चीफ सेलेक्टर अजित आगरकर कहते हैं कि कप्तान का चयन एक-दो सीरीज नहीं, लंबे समय को ध्यान में रखकर किया जाता है तो उनके इरादे पर कोई सवाल नहीं करता. लेकिन यह तय मानिए कि अगर विराट कोहली या रोहित शर्मा को सिर्फ इसलिए बाहर किया गया है कि नई टीम बनानी है तो आज नहीं तो कल इसका जवाब भी मांगा जाएगा. यह अलग बात है कि तब तक अजित ना चीफ सेलेक्टर रहेंगे और ना विराट-रोहित टेस्ट टीम में लौटेंगे.
वॉइटवॉश झेला लेकिन हारने से पहले हार नहीं मानी भारतीय टीम ने 21वीं सदी में इंग्लैंड में छह टेस्ट सीरीज खेली हैं. साल 2002 में सीरीज 1-1 से बराबर रही थी. इसके बाद 2007 में भारत 1-0 से सीरीज जीता. साल 2011 में भारत एमएस धोनी की कप्तानी में 0-4 से हार गया. वॉइटवॉश झेलने वाली इस टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज थे. इस हार ने ही विराट कोहली जैसे युवाओं के लिए रास्ता खोला था. एमएस धोनी की ही कप्तानी में भारत 2014 में 1-3 से सीरीज हारा. साल 2018 विराट कोहली की कप्तानी में हार का यह अंतर और बढ़ गया. इस बार भारत 1-4 से हारा. कोहली की टीम ने इसका काफी कुछ बदला 2021 में लिया और वह 2-1 की बढ़त लेकर सीरीज जीतने के करीब आ पहुंची थी. तभी कुछ खिलाड़ी कोरोना से संक्रमित हो गए और आखिरी टेस्ट एक साल के लिए टाल दिया गया, जिसमें भारत को हार मिली.
इंग्लैंड दौरे के लिए चुनी गई भारतीय टेस्ट टीम: शुभमन गिल (कप्तान), ऋषभ पंत (उप-कप्तान), यशस्वी जायसवाल, केएल राहुल, अभिमन्यु ईश्वरन, साई सुदर्शन, करुण नायर, नीतीश कुमार रेड्डी, रवींद्र जडेजा, ध्रुव जुरेल (विकेटकीपर), वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर, कुलदीप यादव, आकाश दीप, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, अर्शदीप सिंह.