
Last Updated:May 25, 2025, 19:06 ISTNaxal Basava Rajus News : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 21 मई को हुए नक्सल विरोधी ऑपरेशन में मारे गए टॉप माओवादी नेता बसवा राजू उर्फ सुरेश का शव लेने रविवार को उसका भाई नंबाला रामप्रसाद आंध्रप्रदेश के त्रिगा…और पढ़ेंनारायणपुर में अलर्ट किया गया है. हाइलाइट्सबसवा राजू का शव लेने भाई नारायणपुर पहुंचा.सुरक्षा एजेंसियां सतर्क, कड़ी निगरानी जारी.बसवा राजू पर करोड़ों का इनाम था.खेम नारायण शर्मानारायणपुर. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 21 मई को हुई एक बड़ी मुठभेड़ में मारे गए शीर्ष नक्सली कमांडर बसवा राजू उर्फ सुरेश का शव लेने के लिए उसका भाई नंबाला रामप्रसाद रविवार को आंध्रप्रदेश के त्रिगागुल्म क्षेत्र से नारायणपुर पहुंचा. रामप्रसाद के आगमन के बाद से प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई हैं. शव की औपचारिक पहचान की जा रही है, और सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सभी घटनाक्रम पर निगाह रख रही हैं. लोगों ने कहा कि सुरक्षा को आसपास के इलाकों तक कड़ा कर दिया गया है. आने-जाने वाले वाहनों की तलाशी ली जा रही है.
बसवा राजू भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सेंट्रल कमिटी का सदस्य था और वह दक्षिण बस्तर जोन का प्रभारी भी था. यह मुठभेड़ नारायणपुर जिले के दुर्गम अबूझमाड़ क्षेत्र में हुई थी, जहां डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) और अन्य सुरक्षाबलों ने संयुक्त अभियान चलाकर इस खतरनाक नक्सली को ढेर कर दिया. बसवा राजू वर्षों से वांछित था और उस पर छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश की सरकारों द्वारा कुल मिलाकर करोड़ों रुपये का इनाम घोषित किया गया था.
बसवा राजू ने कई बड़ी हिंसक वारदातों को दिया था अंजामबसवा राजू की गिनती माओवादियों के शीर्ष रणनीतिकारों में होती थी. उसने कई राज्यों में हिंसक वारदातों को अंजाम दिया था और सुरक्षा बलों पर हमलों की योजनाएं तैयार की थीं. उसकी मौत को सुरक्षा बलों के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. भाई के शव लेने पहुंचने के बाद, खुफिया एजेंसियां इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. ऐसा माना जा रहा है कि शव की पहचान और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के दौरान नक्सली नेटवर्क की कोई गतिविधि या संकेत मिल सकता है, जिसे खुफिया तंत्र गंभीरता से ले रहा है.
डीएनए रिपोर्ट और पहचान प्रकिया के बाद सौंपा जाएगा शवप्रशासन की ओर से कहा गया है कि शव की डीएनए रिपोर्ट और पहचान प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही उसे परिजनों को सौंपा जाएगा. वहीं, सुरक्षा एजेंसियों ने संभावना जताई है कि बसवा राजू के अंत्येष्टि के दौरान नक्सल समर्थक या गुप्त सदस्य कोई हलचल कर सकते हैं, जिससे सुरक्षा और निगरानी को और पुख्ता किया गया है. इस घटना ने नक्सल मोर्चे पर राज्य की आक्रामक नीति और सुरक्षा रणनीति को बल दिया है. वहीं, बसवा राजू जैसे हाईप्रोफाइल माओवादी नेता की मौत से संगठन को बड़ा झटका माना जा रहा है.
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