सनातन धर्म और उसके ग्रंथों में जीवन से जुड़ी हर घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है. व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक कई संस्कार किए जाते हैं, जिसके नियम भी हैं. उसका पालन किया जाता है. किसी के घर में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. उसका अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति और परिवार के सदस्यों को कुछ नियमों का पालन करना होता है. मुखाग्नि देने वाले व्यक्ति को 10 नियम और परिवार के सदस्यों को 11 बातों का ध्यान रखना होता है.
किसी की मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यों के लिए नियम1. परिवार के सभी सदस्यों को ब्रह्मचर्य के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए.
2. घर के प्रत्येक सदस्य को अलग अलग बेड पर सोना चाहिए.
3. मांस, मदिरा या तामसिक वस्तुओं का सेवन बंद कर देना चाहिए.
4. प्रेत के उद्देश्य से हर दिन परिवार के लोगों को नहाना चाहिए और जल से तर्पण देना चाहिए.
5. बाल, दाढ़, नाखुन नहीं कटाना चाहिए. इस समय में बाल धोना, तेल लगाना, पैर दबाना आदि मना होता है.
6. इस समय में स्नान या कपड़े धोने के लिए साबुन का उपयोग नहीं करते हैं.
7. प्रेत की तृप्ति के लिए पहले, तीसरे, सातवें और दसवें दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें.
8. ऐसे समय में दान, स्वाध्याय, पूजा, पाठ, मंदिर जाना, भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना मना होता है.
9. इस समय में न ही किसी को प्रणाम करते हैं और न ही किसी को आशीर्वाद देते हैं.
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10. यदि घर पर लड्डू गोपाल या अन्य देवी देवताओं को प्रतिष्ठित किया है तो उनकी सेवा और पूजा परिवार के बाहर के व्यक्ति या किसी ब्राह्मण से कराएं.
11. ऐसे परिवार के लोगों को दूसरे का भोजन नहीं करना चाहिए और न ही स्वयं दूसरों का भोजन करना चाहिए.
अंतिम संस्कार करने वाले के लिए नियम1. मुखाग्नि देने वाले व्यक्ति को पहले दिन बाहर से भोजन खरीदकर खाना चाहिए. या फिर ससुराल या ननिहाल पक्ष से भोजन प्राप्त करना चाहिए.
2. भूमि पर सोना चाहिए.
3. ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें.
4. किसी का पैर न छूएं और न ही दूसरे को अपना पैर छूने दें.
5. सूर्यास्त होने से पहले एक समय का भोजन स्वयं बनाकर करना चाहिए.
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6. आपको बिना नमक का भोजन करना चाहिए.
7. रोज का खाना पत्तल या मिट्टी के बर्तन में करना चाहिए.
8. पहले दिन या फिर शुरू के 3 दिन तक उपवास रखें. फलहार करें.
9. भोजन से पहले गाय को खाना दें. प्रेत के लिए भोजन घर से बाहर निकालकर रख दें, उसके बाद ही भोजन करें.
10. इस समय में आपको सभी प्रकार के भोग और विलास की वस्तुओं को त्याग देना चाहिए. दीन भाव से रहना चाहिए.