
Last Updated:April 29, 2025, 22:12 ISTPapaya Cultivation Tips: तना गलन रोग के कारण पौधे के तने का ऊपरी छिलका पीला होकर गलने लगता है, जिससे पौधा सूख जाता है. इस रोग को रोकने के लिए पौधे के आस-पास पानी का जमाव नहीं होना चाहिए और सिंचाई के लिए पानी के…और पढ़ेंX
पपीते की खेतीPapaya Cultivation Tips: राजनांदगांव जिले में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर पपीते की खेती की जा रही है, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं. हालांकि, पपीते की खेती में विभिन्न प्रकार के कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिससे निपटने के लिए कृषि विभाग ने सुझाव दिए है. पपीते की फसल में मुख्य रूप से लाल मकड़ी, तना गलन, पर्ण कुंचन और फल सड़न जैसे रोगों का प्रकोप होता है. लाल मकड़ी पत्तियों पर आक्रमण कर उन्हें पीला कर देती है और फल खुरदुरे और काले हो जाते है. इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावित पत्तियों को तोड़कर दूर गड्ढे में दबा देना चाहिए.
तना गलन रोग के कारण पौधे के तने का ऊपरी छिलका पीला होकर गलने लगता है, जिससे पौधा सूख जाता है. इस रोग को रोकने के लिए पौधे के आस-पास पानी का जमाव नहीं होना चाहिए और सिंचाई के लिए पानी के निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. प्रभावित पौधों को खेत से निकालकर जला देना चाहिए और तने के चारों ओर बोडों मिश्रण (6:6:50) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3 प्रतिशत) का छिड़काव करना चाहिए.
लीफ कर्ल रोग, जो सफेद मक्खियों से फैलता है, के कारण पत्तियां सिकुड़ जाती है. इस रोग से 80 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो सकती है. इसके प्रबंधन के लिए स्वस्थ पौधों का रोपण करना चाहिए और रोगी पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. सफेद मक्खियों के नियंत्रण के लिए डाइमिथोएट 1 मि.ली. का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
फल सड़न रोग में फलों पर छोटे गोल गीले धब्बे बनते हैं, जो बाद में बढ़कर भूरे या काले हो जाते हैं और फल पकने से पहले ही गिर जाते है. इस रोग के उपचार के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.0 ग्राम/लीटर पानी में या मेन्कोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. साथ ही रोगी पौधों को जड़ सहित उखाड़ कर जला देना चाहिए और वहां नए पौधे नहीं लगाने चाहिए.
Location :Rajnandgaon,ChhattisgarhFirst Published :April 29, 2025, 22:12 ISThomeagricultureपपीते की फसल में दिख रही ये बीमारी, तुंरत करें प्रबंधन; नहीं तो होगा नुकसान
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