
Toilet location as per Vastu: जब भी हम घर बनवाते हैं, तो शौचालय एक ऐसी जगह होता है, जो वास्तु की दृष्टि से बहुत ही अहम होता है. ऐसा माना जाता है कि टॉयलेट से ही घर में सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है. ऐसे में टॉयलेट की दिशा वास्तु की दृष्टि से सही होना बहुत जरूरी होता है. अक्सर घरों में भीतर को टॉयलेट बनता ही है. लेकिन इमरजेंसी के बारे में सोचते हुए नीचे के साथ-साथ कई बार घर की छत पर भी एक्स्ट्रा टॉयलेट बना लिया जाता है. ये टॉयलेट घर में ज्यादा लोगों के आने पर काफी फायदेमंद साबित होता है. लेकिन क्या घर की छत पर शौचालय (toilet) बनाना वास्तु की दृष्टि से से शुभ है या अशुभ? आइए जानते हैं.
वास्तुशास्त्र में शौचालय का महत्व
शौचालय को वास्तु में अशुद्धता का स्थान माना गया है. इसका संबंध अपवित्रता, नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) और दोष उत्पन्न करने वाले तत्वों से होता है. इसलिए इसका स्थान और दिशा बहुत सावधानी से तय किया जाता है.
छत पर शौचालय क्यों अशुभ है?
1.ऊर्जा का असंतुलन: छत वास्तु के अनुसार घर की सर्वोच्च ऊर्जा का केंद्र होती है. यदि वहां शौचालय बनाया जाए, तो यह सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है.
2. नीचे के कमरे पर अशुभ प्रभाव: छत पर शौचालय का अर्थ है कि उसके ठीक नीचे जो भी कमरा होगा, चाहे वह पूजा कक्ष, रसोईघर या शयनकक्ष हो, उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
3.परिवार के सदस्यों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर असर: विशेष रूप से छत पर बने शौचालय के कारण परिवार में तनाव, बीमारियाँ, असहयोग और अशांति देखी गई है.
4. धन हानि और बाधाएं: कई बार छत पर बने शौचालय से धन आगमन रुकता है, रोजगार में बाधा आती है और प्रमोशन आदि में विलंब होता है.
वास्तु सम्मत समाधान:
अगर छत पर शौचालय बन चुका हो और तोड़ना संभव न हो तो कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं. तांबे की प्लेट: छत के शौचालय के नीचे के कमरे की छत पर तांबे की प्लेट लगवाएं. इससे कुछ हद तक ऊर्जा का संतुलन बन सकता है. इसके अलावा नीचे के कमरे में ईशान कोण में शिव-पार्वती या वास्तुदेव की तस्वीर रखें. वास्तुशास्त्र के अनुसार छत पर शौचालय बनाना पूर्णतः निषेध है और जहां तक हो सके इसे बिल्कुल न बनाएं. यदि पहले से बना है, तो ऊर्जा सुधार के उपाय अवश्य अपनाएं.