
Last Updated:May 25, 2025, 23:18 ISTVat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, उसके चारों ओर कच्चे धागे से 108 बार परिक्रमा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. महिलाएं बरगद के पेड़ को…और पढ़ेंX
इस वर्ष यह पर्व 26 मई दिन सोमवार को मनाया जाएगा.रायपुर. भारतीय संस्कृति में व्रत-उपवास, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत, जो विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 26 मई दिन सोमवार को मनाया जाएगा, जो कि सोमवती अमावस्या तिथि के संयोग के साथ और भी शुभ माना जा रहा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत की शुरुआत देवी सावित्री द्वारा अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से पुनः प्राप्त करने की कथा से जुड़ी है. छत्तीसगढ़ में महिलाओं द्वारा वट सावित्री का व्रत हर्षोल्लास के साथ रखा जाता है. राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने लोकल 18 को बताया कि वट सावित्री व्रत में अमावस्या तिथि को वट वृक्ष के नीचे पूजन करके किया जाता है.
उन्होंने कहा कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर उसके चारों ओर कच्चे धागे से 108 बार परिक्रमा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. महिलाएं बरगद के पेड़ को गले लगाकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. साथ ही महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं. इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई को पड़ रहा है, जो सोमवती अमावस्या के साथ आ रहा है. यह तिथि 26 मई को दोपहर 12:31 बजे से प्रारंभ होकर 27 मई को सुबह 8:30 बजे तक प्रभावी रहेगी. इस संयोग को अत्यंत शुभ और दुर्लभ माना जा रहा है. व्रत के दिन महिलाएं प्रात:काल स्नान करके व्रत का संकल्प लेंगी और वट वृक्ष के नीचे जाकर विधिपूर्वक पूजन करेंगी. इस अवसर पर महिलाएं श्रृंगार करके पूजा सामग्री के साथ सामूहिक रूप से व्रत करेंगी और पारंपरिक गीतों का गायन भी करेंगी.
छत्तीसगढ़ में व्रत को लेकर खासा उत्साहछत्तीसगढ़ में भी इस व्रत को लेकर खास उत्साह देखा जा रहा है. रायपुर के मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर वट वृक्षों के पास विशेष रूप से सजावट की गई है. कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों द्वारा सामूहिक पूजन और कथा वाचन का आयोजन किया जाएगा. अनेक स्थानों पर महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं.
पुराणों में वट सावित्री व्रत की महिमा का वर्णनपंडित मनोज शुक्ला कहते हैं कि वट सावित्री व्रत की महिमा ‘स्कंद पुराण’ और ‘भविष्य पुराण’ सहित कई अन्य ग्रंथों में भी की गई है. यह व्रत सुहागिनों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि सावित्री ने अपनी दृढ़ संकल्प और भक्ति से यमराज को भी झुका दिया था और अपने पति सत्यवान को जीवनदान दिलवाया था, तभी से यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए अनिवार्य हो गया. वट सावित्री व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि स्त्रियों की श्रद्धा, विश्वास और अपने वैवाहिक जीवन के प्रति समर्पण का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-शांति के लिए संकल्पित होकर व्रत करती हैं. यह पर्व न केवल पौराणिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक रूप से भी महिलाओं को एकजुट कर उन्हें आस्था से जोड़ता है.
Location :Raipur,Chhattisgarhhomedharmवट सावित्री व्रत पर बन रहा बेहद शुभ और दुर्लभ संयोग, जानें हर एक बात
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