
वट सावित्री व्रत 2025 आज है और हर वर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अखंड सौभाग्य के लिए सुहागन महिलाएं व्रत करती हैं. यह व्रत सावित्री-सत्यवान की कथा पर आधारित है, जिसमें देवी सावित्री ने अपने तप, बुद्धि और संकल्प से यमराज से अपने पति को पुनः जीवन दिलवाया था. वट सावित्री व्रत में महिलाएं वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा अर्चना करती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट वृक्ष को त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है. इस वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत का महत्व, पूजा विधि, पूजा मुहूर्त के बारे में…
वट सावित्री व्रत का महत्ववट सावित्री व्रत नारी की आस्था, शक्ति और सतीत्व का प्रतीक है. यह व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि नारी-शक्ति और प्रेम की अमर गाथा है. वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-शांति के लिए सुहागन महिलाओं द्वारा किया जाता है. जो लोग करवा चौथ का व्रत नहीं करते हैं, वे वट सावित्री का व्रत अवश्य करते हैं. वट वृक्ष (बड़ का पेड़) को त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश का संयुक्त रूप माना गया है. इस वृक्ष की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट व परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के तप, श्रद्धा और सतीत्व की विजय का प्रतीक है. व्रत करने से जीवन में चल रहे सभी कष्ट मिटते हैं और सौभाग्य अखंड बना रहता है. साथ ही वैवाहिक जीवन में अगर कोई परेशानी चल रही है तो वह भी दूर हो जाती है.
वट सावित्री व्रत पूजन सामग्रीसूत (लाल धागा)बड़ वृक्ष की शाखा या नीचे पूजा के लिए स्थानफल, फूल, 5 प्रकार के फल, पंखा, कच्चा दूध, भीगे चने, प्रसाद, जल पात्र, अगरबत्ती, दीपक आदि.
वट सावित्री व्रत 2025 आजअमावस्या तिथि का प्रारंभ – 26 मई, सुबह 12 बजकर 11 मिनट सेअमावस्या तिथि का समापन- 27 मई, सुबह 8 बजकर 31 मिनट तकवट सावित्री व्रत आज यानी 26 मई 2025 दिन सोमवार को किया जाएगा.
वट सावित्री व्रत 2025 पूजन मुहूर्तसूर्योदय के बाद वट वृक्ष के नीचे पूजा करना शुभ रहेगा इसलिए वट सावित्री व्रत में अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना उत्तम रहता है.अभिजित मुहूर्त: आज 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि (संपूर्ण रूप से)– वट सावित्री व्रत के दिन यानी आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर महिलाएं पति की आयु, सुख और परिवार की रक्षा के लिए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद घर के आसपास के बरगद के पेड़ के पास जकर पूजा अर्चना करें. अगर आसपास कोई बरगद का पेड़ नहीं है तो एक छोटे गमले में बरगद के पेड़ की जड़ लगाकर पूजा अर्चना कर सकते हैं.– पूजा के लिए लाल चुनरी, कलावा, फल, फूल, दूध, घी, 7 प्रकार के अनाज, जल से भरा लोटा, हल्दी, सुपारी, शहद, बांस की टोकरी, मिठाई, शक्कर, सूत का धागदा, कपूर, कथा की पुस्तक आदि पूजा से संबंधित चीजें पूजा की प्लेट में रख लें.– वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए सबसे पहले वट वृक्ष के पेड़ को जल, दूध, गंगाजल, शहद, भीगे हुए चने आदि पूजा से संबंधित चीजें अर्पित करें. फिर पेड़ को रोली, हल्दी लगाएं और फल, फूल, अक्षत आदि चीजें अर्पित करें.– वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और हर परिक्रमा में सूत (धागा) लपेटें. जब आप परिक्रमा करें तब मन में पति की लंबी उम्र की कामना करें. इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा श्रद्धा से सुनें या पढ़ें.– सावित्री और सत्यवान की मूर्तियां बांस की एक टोकरी में रखें और सजाकर पूजन करें. इसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं, वस्त्र अर्पित करें और रोली अक्षत लगाएं. इसके बाद दीपक जलाएं.– अंत में आरती करें और पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें. वट सावित्री व्रत का पारण अगले दिन यानी सूर्यादय के बाद जलपान किया जाता है.
वट वृक्ष की छाया में, सौभाग्य सदा बना रहेहर हर महादेव, जय माता पार्वती